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Tuesday, 13 February 2018

Color Pencil Drawing of Romantic Love Couple by Artist Akshay Kumar

Drawing of Girl and Boy Hugging.

The above drawing is about a Girl and a boy who love each other. They can not live without each other. They are hugging each other passionately.The girl is leaning on the shoulder of boy and hugging. The girl is wearing a beautiful short dress and the boy is wearing boxer. Boy is muscular and the girl is beautiful. Both have beautiful hair.

Drawing of Girl and Boy Kissing.

The love of the Girl and boy. The couple kisses each other. The boy in the drawing lifts the girl and kisses her on lips.



Boy Lifting Girl Love Couple Drawing



This is a drawing by Artist Akshay Kumar.
This drawing is about the lovers. The boyfriend is lifting his girlfriend whom he loves very much. 
Artist Akshay Kumar has not drawn the face of the couple yet the happiness can be seen in the drawing. The girl seems to be jumping on her lover with full faith on him that he will hold her in his arms and not let her fall. 

It is a quick Color pencil drawing.

Monday, 29 September 2014

Metro Train - An Untold Love Story (In Hindi) by Akshay Kumar 373

Short Stories by Akshay Kumar

Delhi Metro Train - An Untold Love Story (In Hindi)

मेट्रो ट्रेन - एक अनकही प्रेम कहानी (हिन्दी में )

                वो 23-24 साल की लड़की ऑफिस या शायद कॉलेज के लिए रोज़ की तरह ही आज भी तैयार हो कर दिल्ली की मेट्रो ट्रेन मे थी । और हर दिन की तरह आज भी वो लड़की सीट खाली होते हुए भी दरवाजे के पास ही खड़ी थी। पीठ को महिलाओं के लिए आरक्षित सीट की तरफ कर के और कानो मे इयरफोन लगा कर एक पैर के सहारे खड़ी हो गई । वो तैयार तो रोज़ होती थी, पर पिछले कुछ दिनो से वो कुछ ज्यादा ही सज कर आने लगी थी। क्यूंकी पिछले कुछ दिनो से अगले स्टेशन पर वो अंजान 25-26 साल का लड़का भी उसी डब्बे मे आने लगा था। वैसा ही लड़का जैसा उसने अपनी कल्पनाओं मे सोचा था। लंबा, गोरा, खड़ी नाक, सधे हुए कदम, और हाँ, तोंद भी नहीं ... वैसा ही लड़का जिसके बारे मे वो सोचती थी की ऐसे लड़के सिर्फ फिल्मों मे ही दिखते हैं या पारियो और राजकुमारो की मनगढ्ंत कहानियों मे, असल ज़िंदगी मे नहीं।

                उसकी नज़रें दरवाजे के ऊपर भुकभुकाते हुए एलईडी लाइट की तरफ आ टिकी थी।(जो स्टेशन आने वाला होता है उसके नामे के आगे लाइट जलती बुझती रहती है) स्टेशन आ गया। लड़की के साँसे तेज़ होने लगी, धड़कन बढ्ने लगी, नज़रें कभी दरवाज़े के शीशो से बाहर खड़े लोगों मे उस लड़के को ढूंढती तो कभी फेर लेती ये सोचते हुए, ““हुह, ऐसा भी क्या है उस लड़के मे जो मै उसके लिए बेचैन हो रही हू ? मै भी कोई ऐरी गैरी नहीं।““ खैर दरवाजे खुल गए, और बाहर खड़े लोग अंदर आने लगे। लड़की नज़रों को नीचे किए हुए इस तरह से खड़ी थी जैसे उसे कोई फर्क ही नहीं पड़ता की वो लड़का आज आया या नहीं। पर थोरी देर बाद उसने अपनी गर्दन को इस अंदाज़ मे 90 डिग्री मे घुमाया जैसे गले मे कोई दर्द हो आया हो और वो उसे ठीक कर रही हो। पर कोई फायदा नहीं हुआ। जहां तक उसकी घूमी हुई गर्दन ने दिखाया वहाँ तक वो नज़र नहीं आया। अब लड़की को गुस्सा आने लगा, ““कमाल है, ये भी कोई बात हुई भला ? मै क्या बेवकूफ हू जो यहाँ खड़ी हू ?” अब उससे रहा नहीं गया और अब 120 डिग्री घूम कर देखा। वो लड़का आया था। बस आज थोड़ा दूर बैठा था। वो लड़का उसके ठीक सामने वाले दरवाजे से लगी हुई सीटों पर सबसे अंत मे बैठा था। लड़की ने लड़के को देखा और चैन की सांस ली, “हम्म, वोही कहु , ऐसे कैसे नहीं आएगा, मै भी कोई कम थोडी हु ?” पर अचानक से लड़की ने नजरे हटा ली, जैसे कोई करेंट का झटका लगा हो। दरअसल वो लड़का भी उसको ही देख रहा था। लड़की गुस्से मे मुड़ी, भौहों को सिकुड़ाया ठथुने फुलाए और बुदबुदाई, “”कितने बदतमीज़ लड़के हैं आज कल के, लड़की देखी नहीं की बस लगे घूरने”। “ दरअसल ये आज ही नहीं हुआ, बल्कि यही पिछले कई दिनो से हो रहा था। दोनों एक दूसरे को देखते और नज़रें फेर लेते। कभी लड़का डर जाता तो कभी लड़की शर्मा जाती। 

                इसी बीच लड़की के घर पर उसके लिए एक सरकारी नौकरी वाले लड़के का रिश्ता आया। लड़की की माँ ने कहा, “लड़का सरकारी नौकरी मे है, उसके पैरेंट्स खुद आए थे रिश्ता ले कर, तस्वीर भी है, देख ले” पर लड़की तो उसी मेट्रो ट्रेन वाले लड़के के ख़यालो मे थी। उसने भी कह दिया,” क्या ? सरकारी नौकरी ? बड़ा ही बोरिंग लड़का होगा, मुझे पसंद नहीं।“ “ तस्वीर देखे बिना ही लड़की ने रिश्ता ठुकरा दिया। 

                 और दूसरी तरफ ट्रेन मे धीरे धीरे कुछ दिनो मे परिवर्तन आने लगा। अब वो नज़रें फेरने से पहले थोडा मुस्कुरा देते। और कुछ दिन बीते तो हथेलियो को उठा कर हाई हैलो हो जाता। पर दोनों हमेशा अपनी अपनी जगहो पर ही रहते। लड़की वही दरवाजे के पास और लड़का ठीक सामने वाले दरवाजे के पास वाली सीट पर। लेकिन उन्होने कभी बात नहीं की। 

                 “पर ऐसा कब तक ? वो एक लड़का है उसको आगे बढना चाहिए। सिर्फ मुसकुराता है, डरपोक कहीं का। मै कैसे पहल करू ? कहीं वो मुझे गलत न समझ ले।“ “ लड़की की सभी सहेलियों के पुरुष मित्रा थे, तो कुछ विवाहित भी थी, बस वही थी जो आज तक सिंगल थी और वो हमेशा इसी बात को लेकर दुविधा मे रहती थी की वो सभी सहेलियों से सुंदर है, टैलेंटेड है, फिर भी वो सिंगल क्यू है ? क्या अपने मन मुताबिक लड़के के इंतज़ार मे अकेली ही रह जाएगी या उसे भी समझौता कर के किसी को भी जीवन साथी बना लेना पड़ेगा ? किसी ऐसे को जिसे वो पसंद ही नहीं करती ? किसी ऐसे को जिसकी उसने कभी कल्पना भी नहीं की? 

                  इसी उधेडबुन को सुलझाने के लिए वो उन्ही सहेलियों के पास गई और उस ट्रेन वाले लड़के के बारे मे बताया, ““वो बहुत हैंडसम है, शरीफ भी। मुझे देखता है, मुसकुराता है, और कभी किसी और लड़की के साथ नहीं दिखा मुझे वो, तुम्हें क्या लगता है, उसके मन मे मेरे प्रति कुछ है या नहीं ?” 

                 “क्या ? हैंडसम और शरीफ ? आज के समय मे कोई लड़का शरीफ नहीं, और हैंडसम लड़के तो बिलकुल नहीं। मेरी मान तू कोई भी लड़का पसंद कर ले। हैंडसम लड़के अच्छे नहीं होते। वो सिर्फ टाइम पास करते हैं, शादी नहीं. और जो हैंडसम लड़का दिल का भी अच्छा होगा क्या वो आज तक बैचलर होगा ?”, सहेली ने कहा। उसने इंटरनेट पर सर्च किया, ’ हाउ टु नो इफ ए गाइ लाइक्स यू ?’ पर कुछ फायदा नहीं. 

                   सहेली की बातों मे आकर और अपनी हमउम्र दूसरी लड़कियो की रेस मे शामिल होने के लिए उसने भी हडबड़ाहट मे एक ऐसे लड़के को अपना साथी बना लिया जो उसकी पसंद के आस पास भी नहीं था। बिल्कुल भी वैसा नहीं जैसा वो चाहती थी। अब भी लड़की उसी ट्रेन मे उसी जगह पर खड़ी होती और वो अंजान लड़का भी वही बैठा होता। बस फर्क इतना था की लड़की के साथ एक नया लड़का था और लड़का आज भी अकेला ही बैठा था। लड़की आज भी उस लड़के को इस नए लड़के के कंधों के ऊपर से बीच बीच मे देखती, शायद ये देखने के लिए की क्या उसे जलन होती है या नहीं। पर लड़का आज भी सिर्फ मुस्कुरा रहा था। कुछ दिनो बाद लड़का ट्रेन मे दिखना बंद हो गया। शायद अब वो उस ट्रेन मे नहीं आता था। और लड़की भी अब अपने नए दोस्त के साथ व्यस्त हो गई । 

                   पर जो चीज़ें आसानी से मिलती हैं वो आसानी से खो भी जाती हैं। कुछ हफ्तों के बाद उस नए लड़के ने दूसरी महिला मित्र बना ली। लड़की फिर अकेली हो चुकी थी। 

                   समय बीतता गया। एक साल बीत गया। दीपावली का पर्व आया । लड़की के घर मे साफ सफाई चल रही थी। लड़की अपने माँ के कमरे मे उनकी अलमारी ठीक कर रही थी। तभी एक तस्वीर अलमारी से निकल कर फर्श पर आ गिरि। लड़की ने तस्वीर उठाई और बढ़ी हुई साँसों और तेज़ धडकनों के साथ दूसरे कमरे मे अपनी माँ से चिल्ला कर पूछा, “माँ..... ,माअ.... ये...ये...तस्वीर किसकी है आपकी अलमारी मे ?” 

                  माँ ने उसी कमरे से कहा, “अरे... कौन सी तस्वीर ?... अरे हाँ हाँ ...याद आया, ये उसी लड़के की तस्वीर है जिसका रिश्ता तेरे लिए आया था और तूने बिना देखे ही ठुकरा दिया था। उसके माता पिता कह रहे थे की उनके बेटे को तुम पसंद हो और बेटे के कहने पर ही वो यहाँ रिश्ता ले कर आए थे। और सुना है की तुम्हारे मना करने के कुछ दिन बाद इसने नौकरी से इस्तीफा दे दिया और शहर  छोड कर कहीं और चला गया।“” 

                ये तस्वीर उसी लड़के की थी जिसे वो ट्रेन मे देखा करती थी।